बुधवार, 10 जुलाई 2024भारतीय सेना के ” कोई साथी पीछे न छूटे” के सिद्धांत और सेना की की बेहतरीन परंपराओं के अनुसार, पांचवीं बटालियन, फर्स्ट गोरखा राइफल्स के हवलदार (स्वर्गीय) ठाकुर बहादुर आले मगर के पार्थिव शरीर को नौ महीने के साहसिक खोज और बचाव अभियान के बाद माउंट कुन के बर्फीले पहाड़ों से HAWS, गुलमर्ग की टीमों द्वारा खोज लिया गया।
हवलदार ठाकुर बहादुर आले मगर 8 अक्टूबर, 2023 को माउंट कुन के लिए एक पर्वतारोहण अभियान के दौरान चार-सदस्यीय रूट ओपनिंग पार्टी का हिस्सा थे, जब वे एक अप्रत्याशित हिमस्खलन की चपेट में आ गए। कई दिनों तक लगातार खोज अभियान चलाया गया, लेकिन खराब मौसम और लगातार हिमस्खलन के कारण उनके पार्थिव शरीर को बरामद नहीं किया जा सका था। आखिरकार, 7 जुलाई, 2024 को हवलदार ठाकुर बहादुर आले मगर और अन्य सैनिकों के पार्थिव शरीर को HAWS के खोजी दल द्वारा बरामद किया गया।
देहरादून में उनकी यूनिट द्वारा पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, जो भारतीय सेना की समृद्ध परंपराओं और लोकाचार को दर्शाता है। हवलदार ठाकुर बहादुर आले मगर एक बेहतरीन पर्वतारोही थे और उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की स्कीइंग और स्नो बोर्डिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया था, जिसमें उन्होंने 02 स्वर्ण पदक, 01 रजत पदक और 02 कांस्य पदक जीते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, 09 वर्षीय बेटी, 07 वर्षीय बेटा और बुजुर्ग माता-पिता हैं।
भारतीय सेना अपने सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है, यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी साथी पीछे न छूटे, और अपने बहादुर योद्धाओं के बलिदान का सम्मान करती है।