उत्तराखंड कांग्रेस कमिटी के तत्वाधान में प्रदेश अध्यक्ष करन महारा एवं पूर्व मुख्य मंत्री हरीश रावत के संयुक्त नेतृत्व में प्रदेश में सुरसा का रूप ले चुकी बेरोजगारी को लेकर पदयात्रा का आयोजन किया गया ।पदयात्रा में सैकड़ो की संख्या में कार्यकर्ता देहरादून की डिस्पेंसरी रोड स्थित राजीव गांधी कांप्लेक्स में राजीव गांधी की प्रतिमा से गांधी पार्क महात्मा गांधी बापू की प्रतिमा तक शामिल हुए।
पदयात्रा “जुमला नहीं रोजगार दो”
” नशा नहीं रोजगार दो” जैसे नारों से गुंजायमान रही।
गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष पदयात्रा का समापन हुआ, समापन के दौरान प्रदेश अध्यक्ष करण महारा ने कहा कि आज प्रदेश की बेरोजगारी दर 8.8% हो चुकी है ।प्रदेश के सेवा नियोजन कार्यालय में वर्ष 2022 में आठ लाख बयासी हजार पांच सो आठ बेरोजगार युवा पंजीकृत थे, तो आज की तारीख में आंकड़ा कहां पहुंच गया होगा?
महारा ने कहा की भाजपा सरकार हर चुनाव में प्रदेश के युवाओं से बैकलॉग पदों पर भर्ती के बड़े-बड़े वादे तो करती है परंतु सत्ता प्राप्ति के बाद अपने वादे भूल जाती है। महारा ने केंद्र की मोदी सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग थे तो उन्होंने देश के युवाओं से दो करोड़ नौकरी सालाना देने का वादा किया था जो आज तक भी युवाओं के लिए जुमला ही साबित हुआ है।
बेरोजगारी देश और प्रदेश के सम्मुख एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी है। सत्ता में बैठे हुये लोगों का ध्यान इस बड़ी समस्या के निदान की तरफ नहीं है। समापन के दौरान एकत्रित सभा को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा की उत्तराखंड के बेरोजगार नौजवानों के साथ राज्य सरकार द्वारा जो छलावा किया जा रहा है, सैकड़ों संघर्षरत संगठनों को, नौजवान लड़के-लड़कियों को जो अपनी आजीविका की लड़ाई लड़ रहे हैं उनको गांधी पार्क देहरादून जैसे सार्वजनिक स्थल से दूर धकेल कर एकता विहार के अंजान कोने में अपना रोना रोने के लिए मजबूर कर दिया गया है ताकि उनके कष्ट को कोई सुन न सके। लगभग 200 लड़के-लड़कियां जो हाईकोर्ट की चौखट पर अपनी आजीविका की रक्षा के लिए टकटकी लगाए बैठे हुये हैं, ऐसे न जाने कितने संघर्षरत भाई-बहन हैं!रावत ने कहा की मैं उन सबके संघर्ष को विशेष तौर पर बेरोजगार नौजवानों के संघर्ष को आगे लाने के लिए संकल्प बद्ध हुं। रावत ने कहा की उत्तराखंड में निरंतर बढ़ती बेरोजगारी तथा राज्य सरकार द्वारा रिक्त पड़े पदों को भरने में हो रहे अपराधिक विलंब के विरोध में निरंतर प्रयासरत रहूंगा।
उन्होंने कहा की वर्ष 2023 ने देश के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक विमर्श के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को लगभग निगल दिया है। वर्ष 2023 ने बढ़ती हुई बेरोजगारी सुरसा की मुंह के तरीके से फैलती हुई महंगाई, भ्रष्टाचार का फैलता हुआ मकड़ जाल, गरीबी और अमीरी की बीच की खाई जो निरंतर बढ़ रही है, विकास, अग्निवीर, ओल्ड पेंशन स्कीम और उत्तराखंड मांगे नया भू-कानून जैसे प्रश्नों को लगभग निगल दिया है। ऐसा लगता है ये बिन्दु सार्वजानिक विमर्श के कारक नहीं रहे हैं। क्या 2024 में हम भावनात्मक, आध्यात्मिक प्रश्नों पर ही उलझे रहेंगे या भौतिकता से जुड़े हुए इन सवालों को फिर से सार्वजनिक विमर्श में ला पाएंगे यह तय होना है।इसलिए मैंने तय किया है उत्तराखंड के बेरोजगार नौजवानों के साथ राज्य सरकार द्वारा जो छलावा किया जा रहा है।
उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन और उत्तराखंड सबोर्डिनेट पब्लिक सर्विस कमीशन और दूसरे जितने भी परीक्षा लेने वाले बोर्ड बनाए गए थे उनकी गतिविधियां शांत प्रायः हो गई हैं। पहले अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने नये कलेवर के साथ कुछ जोश दिखाया, अब वह जोश भी ठंडा पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। कई प्रमुख परीक्षाएं तो ऐसी हैं जिनको आयोजित हुए 1 वर्ष बीतने जा रहा है, लेकिन परीक्षा फल कहीं निकलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। नौजवानों में बेचैनी है। आप उन नौजवानों के डर से विधानसभा के सत्र को फुल प्रूफ बनाने की रिहर्सल तो कर सकते हो, लेकिन परीक्षा फल निकलवाने की कोशिश करती सरकार दिखाई नहीं दे रही है और दिखाई भी क्यों दे? भला भाजपा सत्ता में कोई रोजगार के प्रश्न पर, महंगाई या भ्रष्टाचार रोकने के प्रश्न पर आई है? वह जिस प्रश्न पर सत्ता में आए हैं उस पर खूब ध्यान लगाकर काम कर रहे हैं, बाकी बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, महिला सम्मान आदि ये सारे प्रश्न तो विपक्ष के लिए हैं।